Monday 6 April 2020

COVID–19 के इर्दगिर्द 3 अनोखे षड्यंत्रकारी सिद्धान्त

यहाँ यह बताना समीचीन होगा कि कोरोना वायरस की समस्या तेज़ी से विश्व में फैल रही है, ढेर सारे भ्रामक प्रचार और प्रकोप के बारे में षड्यंत्र सामने आए हैं। आखिर यह विषाणु है क्या – एक गुप्त जैविक अस्त्र, चीन की अर्थव्यवस्था की प्रगति को रोकने के लिए पेंटागन की गलत सोच या शायद यह केवल एक स्वतंत्र विषाणु है।

षडयंत्रो के सिद्धांत नवीन स्टारबक्स मंचो की तरह पॉपिंग कर रहे हैं। परंतु हम विशिष्ट लोंगो को देखने का प्रयास करते हैं।परंतु ध्यातव्य हो कि षडयंत्रो के सिद्धांत को मना नही कर सकते, क्योकि यह सदैव गायब खण्डों के लिए जिम्मेदार होंगे। हालांकि यह उन को पूरी तरह प्रामाणिक नही बनाता है।

जैविक हथियार

महत्वपूर्ण व जिम्मेदार वैज्ञानिक स्थानों में से एक जहाँ वैज्ञानिक अपने कार्यो को प्रकाशित करते है, जनवरी के अंतिम  सप्ताह में एक रोचक लेख सामने आया। भारतीय चिकित्सको के एक वर्ग ने दावा किया कि COVID-19 के आनुवंशिक सरंचना में प्रोटीन के कुछ उपखण्ड मौजूद हैं जो मानव एम्यूनोडिफिशियली विषाणु के खण्डों के समान है।

वैज्ञानिकों ने नए कोरोना वायरस की बनावट में चार खण्ड मिलने की बात कही है, जिनमे कोई एनालॉग नही है। उन भारतीय वैज्ञानिकों के अनुसार इस बात की प्रबल आशंका है कि किसी ने जानबूझकर दो विषाणु को पार किया है। जिसके तुरन्त बाद षड्यंत्र सिद्धांत उदित हुआ कि यह विषाणु वुहान  के वायरोलॉजी संस्थान में निर्मित हुआ था।

हालांकि प्रकाशन के बाद चीन के विद्वानों ने पूरी तरह खंडन किया है। कुछ दिनों बाद भारतीय वैज्ञानिकों ने अपना कार्यस्थल बदल दिया। तब तक विलम्ब हो चुका था। वाशिंगटन टाइम्स ने इस सूचना को महत्व दिया और प्रसारित किया। उस लेख के अनुसार COVID-19 को वुहान प्रान्त के वुहान संस्थान में एक जैविक अस्त्र के रूप में उच्चीकृत किया गया जो त्रुटिवश मुक्त हो गया था। हालांकि मैं इस बात से सहमत नहीं हूं, परन्तु सरकार की यही मनोदशा है।

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via World News

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